बेटी है अनमोल ख़ज़ाना (कविता)22-Sep-2024
दिनांक- 22.09.2024 दिवस- रविवार वार विषय- बेटी है अनमोल
बेटी है अनमोल खज़ाना, इसे कोख में मत मारो। धन-दौलत की खातिर मूर्खों, लकड़ी सा इसे मत जारो। यदि बेटा है शब्द हमारा, शब्दों का अर्थ बेटी यारों।
बेटी है अनमोल खज़ाना, इसे कोख में मत मारो।
इनसे घर में आती खुशियाँ, ये घर का सौभाग्य जगातीं। इनको बोझ न समझे दुनिया, दो-दो कुल को ये हैं चलातीं। हीरा,पन्ना,मोती,नीलम ये, लुहार हाथ में मत डारो।
बेटी है अनमोल खज़ाना, इसे कोख में मत मारो।
पैरों तले ना इनको रौंदो, घर-परिवार को ये महकातीं। उल्का पिंड ना इन्हें बनाओ, चंदन सा शीतलता लातीं। ये आंँगन की जूही,चमेली, नागफनी समझकर मत सारो।
बेटी है अनमोल खज़ाना, इसे कोख में मत मारो।
इनको समझो ना सामान, नहीं आबरू इनसे ले लो। खिलने,मुस्काने दो इनको, इनके सपनों से ना खेलो। सीता,सावित्री, लक्ष्मी ये, प्यार समर्पित कर डारो।
बेटी है अनमोल खज़ाना, इसे कोख में मत मारो।
साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
Arti khamborkar
19-Dec-2024 03:44 PM
v nice
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